अनेक सिंचाई परियोजनाओं को आकार देने वाले उपयंत्री सीबी पाटेकर सेवानिवृत्त

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सिंचाई विभाग ने आयोजित किया विदाई समारोह

मुलताई- जल संसाधन विभाग मुलताई  की अनेक महत्वकांक्षी परियोजनाओं को अमलीजामा पहनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले उपयंत्री सीबी पाटेकर सेवानिवृत्त हो गए । इस अवसर पर जल संसाधन कार्यालय में विदाई समारोह का आयोजन किया गया।

जिसमें सिंचाई विभाग के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों ने सेवानिवृत्ति पर उनके साथ बिताए अपने अनुभव साझा किए ।इस कार्यक्रम में जल संसाधन विभाग के कार्यपालन यंत्री  विपिन वामनकर ने पाटेकर को साल श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह भेंट किया। इस गरिमामयी  कार्यक्रम में  जल संसाधन एसडीओ नीरज कौरव ने अभिनंदन पत्र का वाचन किया। इस कार्यक्रम में एसडीओ जल संसाधन विभाग सीएल मरकाम, मनोज चौहान, सिद्धार्थ पाटील,  भूपेंद्र सूर्यवंशी, अजय वर्मा सहित सभी उपयंत्री एवं सिंचाई स्टाफ उपस्थित था। मंच का संचालन उपयंत्री शिवकुमार कुमार नागले ने किया।

34 वर्षों में नहीं लगा एक भी आरोप

सिंचाई विभाग के कार्यप्रणाली में एसडीओ एवं उपयंत्री पर आरोप लगना या शिकायतें सामान्य बात है किंतु सहज सरल व्यक्तित्व के धनी सीबी पाटेकर पर अपने 34 वर्षों की सेवाओं में कभी कोई आरोप नहीं लगा। मुलताई क्षेत्र के निवासी पाटेकर ने अपने जीवन की 34 वर्ष की सेवाएं मुलताई सिंचाई विभाग को दी उन्होंने अगस्त 1989 मे जल संसाधन विभाग मुलताई में उपयंत्री के रूप में अपना पदभार ग्रहण किया था और जनवरी 2023 को सेवानिवृत्त भी मुलताई से हुए हैं।

उन्होंने मुलताई क्षेत्र की पहेली विश्व बैंक की सहायता से बनी मध्यम सिंचाई परियोजना चंदोरा, इसके बाद पारसढ़ोह, वर्धा सिंचाई परियोजना निर्माण में जहां अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, वहीं लघु सिंचाई परियोजनाओं में एनस, शेरगढ़, घटबिरोली, इटावा , देहगुड लघु सिंचाई परियोजना उनके कुशल नेतृत्व की धरोहर के रूप में याद की जाती रहेगी । क्षेत्र के किसान बताते हैं उपयंत्री पाटेकर किसान और सिंचाई विभाग के बीच सेतु का काम करते थे।

उन्होंने अपने सेवाकाल में किसान और ग्रामीणों के बीच भी विश्वसनीयता कायम की थी जिसके कारण विभागीय कार्य आसानी से हो जाते थे। उपयंत्री शिवकुमार नागले जो उनके सहपाठी  है बताते हैं कि अपने कार्य और दायित्व के प्रति सदैव सजग रहने वाले पाटेकर हर विपरीत परिस्थिति का सामना करने के बावजूद अपने दायित्व से पीछे नहीं रहते थे चाहे वर्षा काल में बांधों की रखवाली का मामला हो या बांध निर्माण को गति प्रदान करने की बात वह हमेशा साइट पर डटे रहते थे।



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