आंवला नवमी पर महिलाओं ने किया आंवला के वृक्ष का पूजन एवं वृक्ष के नीचे भोजन

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कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी,  अक्षय ,आवला नवमी का पर्व  पर अनुसया सेवा संगठन की महिलाओं एवं युवा साथियों ने आंवला वृक्ष का पूजन कर मनाया गया। अनुसया सेवा संगठन मुलतापी के अध्यक्ष कृष्णा साहू, दुर्गेश यादव, राजेश साहू, कपिल साहू ने बताया कि धार्मिक मान्यता के अनुसार आज आंवला नवमी स्वयं सिद्ध मुहूर्त भी है आज के दिन दान, जप व तप सभी अक्षय होकर मिलते हैं अर्थात इनका कभी क्षय नहीं होता हैं आज नगर सही ग्रामीण क्षेत्रों में संगठन के सदस्य माता बहनों द्वारा आंवले के वृक्ष की पूजा के बाद इस वृक्ष की छाया में बैठकर सभी ने खाना खाया क्योंकि ऐसा करने से हर तरह के पाप और बीमारियां दूर होती हैं

तथा सभी मनोकामनाओं की पूर्ति  होती है। अनुसया सेवा संगठन की मात्र शक्तियों कलसिया साहू, कविता साहू, दुर्गा साहू, हीरा साहू, गीता साहू कला साहू कीर्ति साहू लक्ष्मी साहू ममता साहू लता साहू आदि के द्वारा बताया कि आंवला नवमी पर आंवले के वृक्ष की पूजा और इसके वृक्ष के नीचे भोजन करने की प्रथा की शुरुआत करने वाली माता लक्ष्मी मानी जाती हैं। प्रचलित कथा के अनुसार एक बार माता लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करने आईं।

रास्ते में भगवान विष्णु और शिव की पूजा एक साथ करने की उनकी इच्छा हुई। लक्ष्मी मां ने विचार किया कि एक साथ विष्णु और शिव की पूजा कैसे हो सकती है। तभी उन्हें ख्याल आया कि तुलसी और बेल के गुण एक साथ आंवले में पाया जाता है। तुलसी भगवान विष्णु को प्रिय है और बेल शिव को। आंवले के वृक्ष को विष्णु और शिव का प्रतीक चिह्न मानकर मां लक्ष्मी ने आंवले के वृक्ष की पूजा की। पूजा से प्रसन्न होकर विष्णु और शिव प्रकट हुए। लक्ष्मी माता ने आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर विष्णु और भगवान शिव को भोजन कराया। इसके बाद स्वयं ने भोजन किया। जिस दिन यह घटना हुई उस दिन कार्तिक शुक्ल नवमी थी तभी से यह परम्परा चली आ रही है। इस अवसर पर कृष्णा साहू दुर्गेश यादव योगेश साहू कपिल साहू मातृशक्ति कलसिया साहू, कविता साहू, दुर्गा साहू, हीरा साहू, गीता साहू कला साहू कीर्ति साहू लक्ष्मी साहू ममता साहू लता साहू आदि उपस्थित हुए।


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