फल खरीद रहे हैं तो रहे सावधानः केमिकल से पके फल सेहत को पहुंचा सकते नुकसान, अधिवक्ता ने ज्ञापन सौंपकर की जांच की मांग

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दिलीप पाल

आमला- फल सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं किंतु बाजारों में बिकने वाले फल आपके सेहत को फायदे के बजाय नुकसान भी पहुंचा सकते हैं क्योंकि शहर में जो फल बिक रहे हैं, इसकी गारंटी नहीं है वे नेचुरूल रूप से पके हैं या फिर रसायन से पके हैं। इसकी जांच जरूरी है, लेकिन स्वास्थ्य एवं औषधि विभाग जांच के प्रति गंभीर नहीं है।

रसायन के प्रयोग का चलन अब खेती के अलावा कच्चे फलों को समय से पहले पकाने और स्वादिष्ट बनाने में भी होने लगा है। लोग बिना जानकारी बाजार से रोजाना फल खरीद कर स्वाद तो चख रहे हैं, लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि उसे पकाने और रसीला बनाने के लिए कितने प्रकार के रसायनों का प्रयोग हो रहा और इससे उन्हें क्या नुकसान हो सकता है।

फल पकाने लिए सबसे ज्यादा कार्बाइड का प्रयोग शहर में किया जाता है जिसके सेवन से मानव शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है। शहर में फलों को पकाने और लोगों की सेहत से खिलवाड़ किये जाने की शिकायत भी वरिष्ठ अधिवक्ता राजेन्द्र उपाध्याय ने मुलताई एसडीएम से ज्ञापन सौंपकर की है। उपाध्याय ने बताया कि आमला में रेस्ट हाऊस के आसपास बस स्टैंड पर फलों की दुकानों में खासतौर से आम, पपीता, केले सहित अन्य फलों को केमिकल्स से पकाकर विक्रय किया जा रहा है, जो लोगों की सेहत को प्रभावित कर सकते है। उन्होंने केमिकल्स से फल पकाने वाले विक्रेताओं पर कार्रवाही किये जाने की मांग की है।

जिम्मेदार नहीं दे रहे ध्यान-

शहर में फलों की जांच को लेकर जिम्मेदार स्वास्थ्य एवं औषधि विभाग भी गंभीर नहीं है। केला, पपीता और वर्तमान में आम ज्यादातर कार्बाइड से ही पकाया जा रहा है। ऐसे में इसकी जांच होना बेहद जरूरी है। सिविल अस्पताल के मेडिकल ऑफिसर डॉ. मुकेश वागद्रे ने बताया कि कार्बाइड की अधिकता से कैंसर जैसी बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है। गले पर इसका जल्द असर होता है। घातक रोगों की यह बुनियाद भी बन सकता है, क्योंकि केमिकल गैस रिलीज करते है, जिससे फल समय से पहले पक जाते हैं। जो कि मानव शरीर के लिए बेहद नुकसानदायक है। फलों में मौजूद कैमिकल की मात्रा पर निर्भर करता है कि वह खतरनाक है या नहीं।

समय पूर्व फल बेचकर मुनाफा कमाने का लालच-

फल पकाने का परंपरागत तरीका भूसे और पत्ते के बीच पाल लगाने का है। इस विधि से फल धीरे-धीरे पकते हैं। इस विधि का कोई उपयोग नहीं करता। भूसे और पत्ते से पकाया गया फल शरीर के लिए भी हानिकारक नहीं होता। इस तरीके में देर और पैसा ज्यादा खर्च होने के कारण इसका उपयोग फल-सब्जी विक्रेताओं ने बंद कर दिया हैं। उसके स्थान पर केमिकल के उपयोग का आसान तरीका ढूंढ लिया है। जिससे कम समय में फल पकाकर तैयार हो जाते है। जिस तरह से बाजार में केमिकल्स से फलों को पकाया जा रहा है, उसके लंबे समय तक सेवन से शरीर को नुकसान हो सकता है।

बाहर से मंगवाकर गोदामों में पकाते है फल-

व्यापारी बाहर से कच्चे फल मंगाते हैं। सूत्र बताते है कि उन फलों को गोदामों में ही पकाया जाता है। सुबह दुकानदार फलों के बड़े-बड़े चट्टे लगाकर उसमें कार्बेट की कई पुडिया बनाकर रख देते हैं। सुबह तक फल पक जाते हैं। उन्हीं फलों को दुकान पर ले जाकर बेच देते  है। यह फल पकाने का सस्ता और आसान तरीका है। जिसकी पहचान करना ग्राहकों के लिए मुश्किल होता है।  चिकित्सकों का कहना  है कि फल को खाने से पहले अच्छी तरह से धो लें और छिलका निकालकर खाने से केमिकल्स का असर कम होगा। प्राकृतिक रूप से पके आम पीला या हरा ही दिखेगा

इनका कहना है –

शनिवार बाजार में मुहिम चलाकर सड़े-गले फलों का नष्ट करने की कार्रवाही की जायेगी। ताकि लोगों की सेहत पर इन खराब फलों का विपरीत प्रभाव न पड़े। वहीं केमिकल्स से फल पकाने वालों पर कार्रवाही के लिए खाद्य एवं औषधि विभाग को पत्र लिखा जायेगा।
नीरज श्रीवास्तव
सीएमओ, नगरपालिका आमला।

आमला शहर में फलों को केमिकल्स से पकाने का काम किया जा रहा है, तो जल्द ही ऐसे फल विक्रेताओं के खिलाफ कार्रवाही की जायेगी। 
संदीप पाटिल, खाद्य अधिकारी
खाद्य एवं औषधी प्रशासन, बैतूल।

केमिकल्स युक्त फल खाने से पेट की खराबी होती है। कैल्शियम कार्बइट अधिक मात्रा में डालकर फल पकाया गया हो तो नींद न आना, ब्रेन में ऑक्सीजन की कमी होना या फलों पर डायरेक्ट कैल्शियम कार्बइट का प्रयोग किया हो तो कैंसर जैसी बीमारियां होने की संभावना रहती है।

डॉ. अशोक नर्मदे
चीफ मेडिकल ऑफिसर सिविल अस्पताल


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