संजय द्विवेदी
पानी जब भगवान पर चढ़कर उनके स्पर्श में आ जाता है तो वह नाली में नहीं फेंका जाता बल्कि तुलसी के गमले तक पहुंच जाता है। वह जल बन जाता है और महादेव का हो जाता है। इसी तरह यदि हम शिवलिंग पर जल अर्पित करें और उसका स्पर्श कर लें तो हम महादेव के हो जाएंगे।
तुम केवल उनका एक लोटा जल, उनका भजन, उनका मंत्र संभाल लों, वो तुम्हें संभाल लेगा, तुम्हारी सब मुसीबतों को संभाल लेंगे। यह प्रवचन विख्यात कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा ने बैतूल के कोसमी स्थित शिवधाम में चल रही मां ताप्ती शिवपुराण कथा के तीसरे दिन की कथा सुनाते हुए दिए। पं. मिश्रा ने आगे कहा कि हमें थोड़ी भी शिवभक्ति छू जाएं तो हमारा जीवन सार्थक जाएगा।

सनातन धर्म की महिमा बताते हुए उन्होंने कहा कि हम घर के काम करने के लिए तो नौकर रख लेते हैं, लेकिन भगवान को जल अर्पित करने या अर्पित किए गए जल को तुलसी के गमले तक पहुंचाने के लिए कभी नौकर नहीं रखते। वह पानी हम यदि बच्चे को भी देंगे तो वह बगैर बताए भी तुलसी के गमले में ही ले जाकर चढ़ाएगा। हमारा सनातन धर्म बच्चों को भी यह बताता है कि कौनसा जल कहां जाएगा।
शिवभक्तों का रैला दिन-प्रतिदिन नए कीर्तिमान बना रहा है।
बैतूल। मां ताप्ती शिवपुराण समिति के व्दारा आयोजित कथा में शिवभक्तों का रैला दिन-प्रतिदिन नए कीर्तिमान बना रहा है। इस संबंध में समिति के सहसंयोजक व्दय अमर (आशू) किलेदार और योगी राजीव खंडेलवाल ने बताया कि पहले दिन जहां एक लाख से अधिक शिवभक्त थे, तो वहीं दूसरे दिन कीचड़-पानी के बाद भी शिवभक्तों का आंकड़ा सवा लाख को पार कर गया। तीसरे दिन करीब दो लाख श्रध्दालुओं ने बैठकर पंडित प्रदीप मिश्र की शिवपुराण कथा सुनी। लोग इतनी दूर तक बैठे थे कि उन्हें पंडितजी के दर्शन तक नहीं हो रहे थे, लेकिन दो दर्जन स्क्रीन और कथास्थल की जमीन ही उनके लिए पुण्यदायी थी। यह कथा 18 दिसंबर तक चलेगी।

आज इन्होंने की आरती-
आज कथा के अंत में शिव-पार्वती विवाह की झांकी प्रस्तुत की गई। तीसरे दिवस की आरती के मुख्य यजमान सुषमा जगताप, विजय जितपुरे, नीतू ठाकुर, मनीष सोलंकी आदि जनप्रतिनिधियों एवं आमला विधायक डा योगेश पंडागरे परिवार, वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी सुनील द्विवेदी परिवार तथा समाजसेवी बबलू खुराना परिवार, रामकिशोर बोरवन, मुन्ना मानकर के परिवार के द्वारा की गई। कथा के तीसरे दिन पहले दो दिन से भी अधिक करीब दो लाख श्रद्धालु कथा सुनने के लिए पहुंचे।
मां ताप्ती के नाम स्मरण का महत्व बताया
पं. मिश्रा ने बाहरी सुंदरता की जगह मन की सुंदरता पर बल देते हुए कहा कि ब्यूटी पार्लर जाने से जो सुंदरता नहीं मिल सकती वो महादेव के चरणों में जाकर मिल सकती है। मां ताप्ती ने भी कड़ी तपस्या के बाद देवाधिदेव महादेव से वर के रूप में उनकी तरह सुंदरता मांगी थी। मां ताप्ती का महत्व बताते हुए उन्होंने कहा कि गंगाजी की डूबकी लगाने, यमुना जी का पान करने और नर्मदा जी के दर्शन का बेहद महत्व है वह महत्व मां ताप्ती का केवल मुंह से नाम भर निकल जाने का है। केवल मां ताप्ती के नाम स्मरण से 100 पीढ़ियां तर जाती हैं। उनका तप इतना प्रबल है।