मुलताई – परिवार में छोटी-छोटी बातों को लेकर हुए विवाद जब लंबी और कठिन न्यायिक प्रक्रिया से गुजरते हैं तो यह विवाद और गहरे हो जाते हैं। और जब न्यायालय में आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता है टूटी डोर का फासला और बढ़ जाता है।
ऐसे में लोक अदालते दिलों की दूरियों को कम करने, परिवार को विवादों से निकाल कर एक साथ बिठाने में महत्त्व भूमिका निभा रही है। आज मुलताई न्यायालय परिसर में लोक अदालत का आयोजन किया गया जिसमें न्यायालय अपर जिला न्यायाधीश पंकज चतुर्वेदी और वकीलों के परामर्श के बाद दो वैवाहिक जोड़ों ने अपने गिले शिकवे भुला कर न्यायालय का विवाद समाप्त कर लोक अदालत के माध्यम से एक साथ रहने का निर्णय लिया।

माता-पिता के साथ रह रही थी पत्नी पति ने खटखटाया न्यायालय का दरवाजा
महेंद्र पिता रामा निवासी बघोली बुजुर्ग ने अपर जिला न्यायाधीश के न्यायालय में अधिवक्ता डॉ. हरप्रीत कौर खुराना के माध्यम से यह वाद दायर किया था कि उनकी पत्नी कल्पना उनके साथ नहीं रहती माता पिता के साथ रहती है अधिवक्ता हरप्रीत कौर ने बताया कि यह मामला धारा 9 हिंदू विवाह अधिनियम के तहत दाम्पत्य जीवन की पुर्नस्थापना हेतु प्रस्तुत किया था लड़की की ओर से अधिवक्ता एनआर गव्हाड़े पैरवी कर रहे थे लोक अदालत में माननीय न्यायाधीश एवं अधिवक्ताओं की समझाइश के बाद दो माह मे ही लोक अदालत से विवाद समाप्त हुआ जिसके बाद दोनों पति पत्नी राजी खुशी न्यायालय से एक साथ अपने घर के लिए रवाना हुए।

बच्चों के लिए विवाद छोड़ एक साथ घर गए पति पत्नी
मुलताई -नगर के ताप्ती वार्ड निवासी एक दंपत्ति के विवाह को 17 वर्ष गुजर गए थे दो बेटियां भी है पति पत्नी में 5 माह से किसी बात को लेकर विवाद हो गया और दोनों अलग हो गए। मामला अपर सत्र न्यायालय पहुंचा पति पत्नी दोनों 5 माह से अलग रह रहे थे। अधिवक्ता राजेंद्र उपाध्याय ने बताया कि न्यायाधीश महोदय की समझाइश के बाद दोनों पति-पत्नी अपने बच्चों के खातिर विवाद छोड़कर फिर से राजी खुशी रहने का निर्णय लिया।