विक्रम के जीवन को बचाने आगे आई अनेक संस्थाएं, बच्चों ने चलाई मुहिम

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मुलताई – छात्र विक्रम राठौर के पैर काटे जाने के बाद अब विक्रम के जीवन बचाने की मुहिम प्रारंभ हो गई है ।जगह-जगह प्रार्थनाओं का दौर प्रारंभ है आर्थिक मदद करने के लिए भी अनेक संस्थाएं एवं स्कूली छात्र  आगे आ रहे हैं।

नागदेव मंदिर समिति के छोटे छोटे बालकों ने विक्रम इलाज में आर्थिक मदद के लिए  11 हजार की राशि जमा की। दूसरी तरफ न्यू कार्मेल कान्वेंट स्कूल के संचालक अनीश नायर, स्कूल स्टाफ एवं छात्रों ने विक्रम के घर पहुंचकर 10 हजार की आर्थिक सहायता विक्रम की माता को सौपी साथ ही न्यू कार्मेल के छात्र अभी और आर्थिक सहायता जमा कर रहे हैं ताकि विक्रम के इलाज में सहयोग हो सके ।अब तक विभिन्न माध्यमों से एक लाख से अधिक सहायता विक्रम के इलाज के लिए पहुंचाई जा चुकी है

किंतु अब भी संपूर्ण इलाज के लिए लगभग 2 लाख रुपए की आवश्यकता है। बता दें कि नेहरू वार्ड निवासी कक्ष दसवीं का छात्र विक्रम राठौर एक गरीब मजदूर का पुत्र है। अचानक उसके पैर में मामूली चोट आई थी जिसके बाद उसे ‘अनमोल’ निजी हॉस्पिटल ले जाया गया था। जिसके बाद विक्रम की स्थिति बिगड़ने के बाद उसे ‘क्रिश हॉस्पिटल’ के डॉक्टर अंकुश भार्गव की सलाह पर विक्रम राठौर का हेल्थ सिटी चिल्ड्रन हॉस्पिटल नागपुर ले जाया गया एवं वहां इलाज चल रहा है।

पैर घुटने के नीचे से काटा जा चुका है और डॉक्टर विक्रम के जीवन को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इधर नगर में विक्रम के जीवन को बचाने की मुहिम प्रारंभ हो गई है जिसमें अनेक सामाजिक एवं शैक्षणिक संस्थाएं स्कूली बच्चे राजनीतिक दल से जुड़े लोग एकजुट होकर विक्रम राठौर को आर्थिक मदद कर रहे हैं । इस मुहिम का उल्लेखनीय पहलू यह है की छोटे-छोटे बच्चे योगदान दे रहे है

नागदेव मंदिर समिति के यह बच्चे बैनर लेकर लोगो के दुकानो जाकर सहयोग कि अपील कर रहे हैं और शाम को उस पूरे पैसे को फोन पे के माध्यम से विक्रम के मामा कन्हैया साहू के पहुंचा रहे हैं। अब तक इन्होंने 11 हजार से अधिक की राशि जमा की है। इस मुहिम में गोविंद साहू, राज साहू ,पवन साहू, सेम साहू ,तुषार साहू आदि प्रमुख है।


ऐसी हमारी ताप्ती नगरी

हर नगर की तरह हमारे नगर में भी अलग-अलग धर्म के अलग-अलग पार्टियों के अलग-अलग विचारों के लोग रहते हैं। किंतु एक बात जो हम मुलताई वासियों को सबसे अलग करती है वह यह की जब भी कोई गरीब कमजोर संकट में होता है अपने आप को अकेला समझता है हर गली से लोग निकलते हैं और एकजुट होकर उस परिवार के साथ  खड़े हो जाते हैं। वह लोग निसंदेह सराहना के पात्र हैं जो हर जरूरतमंद की मदद के लिए आगे आकर पूर्वजों से मिली परंपराओं को आगे बढ़ा रहे हैं।



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