मुलताई- नगर में गणतंत्र दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया गणतंत्र दिवस के प्रमुख कार्यक्रमों का आरंभ गांधी चौक में ध्वजारोहण के साथ हुआ। पूर्व मंत्री एवं विधायक सुखदेव पांसे की उपस्थिति में नगर पालिका अध्यक्ष नीतू प्रह्लाद परमार ने ध्वजारोहण कर ध्वज सलामी ली। कार्यक्रम में विधायक पांसे एवं अध्यक्ष नीतू परमार ने कबूतर एवं गुब्बारे उड़ा कर शांति का संदेश दिया । स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिवारों को सम्मानित किया। महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया।
इस अवसर पर पूर्व विधायक पंजाब राव बोडखे, अंजलि सुमित शिवहरे ,एसडीएम राजनंदनी शर्मा, एसडीओ पुलिस नम्रता सोंधिया, पार्षद, सभापति उपस्थित थे। इसके उपरांत हाई स्कूल ग्राउंड में जनपद अध्यक्ष ने ध्वजारोहण कर अतिथियों ने परेड सलामी ली इसके उपरांत विभिन्न विभागों द्वारा प्रदर्शनी का प्रदर्शन किया गया जिसमें महिला एवं बाल विकास की झांकी को सभी ने सराहा। इस वर्ष अतिथियों से परेड निरीक्षण नहीं कराया गया। इस वर्ष विभिन्न शाला द्वारा प्रदर्शित की गई परेड प्रदर्शन को सभी ने सराहा। इसके उपरांत सांस्कृतिक कार्यक्रमों का सिलसिला प्रारंभ हुआ।

वीआईपी स्कूल एवं शासकीय कन्या शाला को मिला प्रथम पुरस्कार
हाई स्कूल ग्राउंड पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों में सभी शालाओं ने बेहतर प्रदर्शन किया सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से अनेक सामाजिक मुद्दों उठाए गए। जिसमें प्रथम पुरस्कार माध्यमिक शाला स्तर पर वीआईपी स्कूल द्वारा प्रस्तुत महिला सशक्तिकरण पर आयोजित नृत्य नाटिका को मिला वही ड्रीम्स पब्लिक स्कूल कि लक्ष्मीबाई प्रस्तुति ने दूसरा स्थान प्राप्त किया। हाई सेकेंडरी स्तर पर शासकीय कन्या शाला के राजस्थानी नृत्य को प्रथम स्थान मिला वही गुरुकुल विद्या मंदिर द्वारा आयोजित स्थानीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों पर आधारित नृत्य नाटिका को द्वितीय स्थान मिला। इसके अलावा कोरोला पब्लिक स्कूल द्वारा कोरोना त्रासदी पर आधारित नृत्य नाटिका को सभी ने सराहा इसके अलावा सनराइज पब्लिक स्कूल का राजस्थानी नृत्य आकर्षण का केंद्र रहा।

कार्यक्रम को लेकर गंभीर कब होंगे जवाबदार
हमारे राष्ट्रीय पर्वों के एहसास को बनाए रखने में शालाओं की महती भूमिका होती है। गणतंत्र दिवस के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम में सैकड़ों बच्चे 10 मिनट की प्रस्तुति के लिए लाखों रुपए ड्रेस पर पालको का खर्च होता है। किंतु व्यवस्था निर्माण करने वाले इस परिश्रम को कभी गंभीरता से नहीं लेते अगर ऐसा होता तो ग्राउंड पर उड़ती धूल और जगह-जगह पड़े पत्थर दिखाई नहीं देते जहां नन्हे नन्हे बच्चे अपना प्रदर्शन करते हैं। जब सांस्कृतिक कार्यक्रम चल रहे होते है तभी मंच पर सम्मान आदि का कार्यक्रम चलता रहता है जो बताता है कि बच्चों के महीनों की मेहनत को आयोजन करता कितनी गंभीरता से लेते हैं।
